कोरोना के बाद सकारात्मक सोच के साथ बोर्ड परीक्षा में शामिल होने के लिए छात्र-छात्राएं खुद को तैयार करें- विश्वविक्रमवीर सर नागेश जोंधले

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शिक्षा के घर आई सेंटर, पुणे द्वारा प्रस्तुत आंतरराष्ट्रीय कार्यशाला ‘द डायनामिक टॉप रैंकर’ का आयोजन

पुणे (विशेष प्रतिनिधी) दि.25 दिसंबर : जैसे-जैसे 10वीं/12वीं की बोर्ड परीक्षाएं नजदीक आ रही हैं, पढ़ाई का तनाव, परीक्षा का डर, सफलता पाने का संघर्ष ही वह कारण है जिसके लिए छात्रों को कोरोना के बाद सकारात्मक मानसिकता के साथ बोर्ड परीक्षाओं के लिए खुद को तैयार करना जरूरी है। पुणे में ‘द डायनामिक टॉप रैंकर’ तनाव मुक्त छात्र – तनाव मुक्त परीक्षा इस विषय संबंधी दो दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। विकास अकादमी के निर्देशक विकास इंदे ने इस अवसर की अध्यक्षता की,  और प्रमुख मार्गदर्शक के रूप में अमेज़न बेस्ट सेलिंग लेखक और आई सेंटर के निर्देशक,  विश्वविक्रमवीर, शिक्षा के क्षेत्र में ‘आंतरराष्ट्रीय व्यक्तित्व पुरस्कार’ प्राप्त व्यक्तिमत्व सर नागेश जोंधले ने मार्गदर्शन किया। इस वक्त विक्रीकर निरीक्षक स्वप्निल चव्हाण के साथ ‘ मुख्य मार्गदर्शक के रूप में सुनील बेंके, छात्रों के प्रिय शिक्षक और आई सेंटर। फ्रेंचाइजी के निदेशक संदीप अंबेसांगे मुख्य उपस्थिति थे। इस वक्त विक्रीकर निरीक्षक म्हणून स्वप्निल चव्हाण, विद्यार्थी प्रिय शिक्षक सुनील बेनके और आई सेंटरके फ्रेंचाईजी डायरेक्टर संदीप अंबेसंगे इनकी प्रमुख उपस्थिती थी|

‘द डायनामिक टॉप रैंकर’ का कार्यशाला में उपस्थित छात्रों और माता-पिता को एवं स्कूल टीचर को मार्गदर्शन करते हुये आंतरराष्ट्रीय लेखक, वक्ता , विश्वविक्रमवीर प्रमुख मार्गदर्शक सर नागेश जोंधले |

विश्वविक्रमवीर नागेश जोंधले ने कहा कि, “छात्रों की शैक्षिक प्रगति एक महत्वपूर्ण चरण है। जैसा कि वे 10वीं/12वीं की बोर्ड परीक्षाओं का सामना करते हैं, उन्हें आज की प्रतिस्पर्धी दुनिया में सफल होना बहुत मुश्किल लगता है। आज का युवा अपने जीवन में एक बहुत ही नाजुक मोड़ पर है और उनकी अच्छी आदतें, सोच, निर्णय लेने का कौशल इस इंटरनेट युग में पूरी तरह से विचलित और नकारात्मक चीजों की ओर मुड़ते हुए देखा जा रहा है। इससे छात्रों में हिंसा, चिड़चिड़ापन, क्रोध के साथ-साथ सोशल मीडिया का मोह, आभासी स्वतंत्रता का मोह, उत्तेजक पदार्थों की लत बड़ी सहजता से फैलती जा रही है, इस प्रकार उनका जीवन, वास्तव में, तेजी से विनाश की ओर जा रहा है। इस वजह से उनमें अवसाद, चिंता और मानसिक बीमारी फैलने की प्रबल संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. इसके लिए छात्रों में कोरोना के बाद पढ़ाई का आनंद बढ़ाने के लिए ‘द डायनामिक टॉप रैंकर’ कार्यशाला बनाई गई है और छात्रों-अध्यापकों-अभिभावकों के बीच संतुलन बनाए रखते हुए उन्हें व्यावहारिक रूप से प्रशिक्षित किया जा सकता है ताकि वे जीवन के शिखरों को प्राप्त कर सकें। चुनौतियों को स्वीकार कर और कठिन परिस्थितियों में सफलता प्राप्त कर सफलता सर नागेश जोंधले ने कहा कि यह कदम निश्चित रूप से सफल होगा।“

‘द डायनामिक टॉप रैंकर’ का कार्यशाला में उपस्थित सभी जन|

प्रमुख मार्गदर्शक सर नागेश जोंधले ने विशेष माता-पिता से बातचीत करते हुए कहा कि, “हमारे घर में बातचीत का माहौल होना बहुत जरूरी है और हमारे बच्चों के साथ हमारा रिश्ता पीढ़ी दर पीढ़ी बदलता रहता है। आपके दादा-दादी, माता-पिता भले ही पढ़े-लिखे नहीं थे, लेकिन उन्होंने आपको नैतिक मूल्यों से तराशा है और आपको अपने पैरों पर खड़ा होने लायक भी बनाया है। जरूरी है कि वर्तमान माता-पिता उच्च शिक्षा के साथ-साथ अधिक जिम्मेदार बनें। तेजी से शहरी क्षेत्रों में माता-पिता दोनों नौकरी या व्यवसाय पर अधिक ध्यान देकर दुनिया की गाड़ी को सफलतापूर्वक खींचने के लिए कड़ी मेहनत करते देखे जा रहे हैं। इस वजह से माता-पिता को बताया जाता है कि उनके पास अपने बच्चों के लिए समय नहीं है। इस वजह से, यह विश्लेषण करना अधिक महत्वपूर्ण है कि हम जो चीज या कार्य कर रहे हैं वह सही है या गलत, बजाय इसके कि उसके परिणाम अंततः अच्छे या बुरे हैं। यदि वे समय पर नहीं जागे तो उन्हें व्यक्तिगत रूप से और पूरे परिवार को परिणाम भुगतने होंगे। इसलिए, यह माता-पिता के लिए अधिक जिम्मेदार होने और अपने बच्चों को सकारात्मक रूप से प्रोत्साहित करने, उनकी भावनाओं को ठीक से प्रबंधित करने और उन्हें और अधिक सशक्त बनाने के लिए उनकी प्रशंसा करने का समय है।“

इस आंतरराष्ट्रीय कार्यशाला ‘द डायनामिक टॉप रैंकर’ में अभिभावकों ने भी अनायास भाग लिया और विश्व रिकार्ड कोच सर नागेश जोंधले से कई विषयों पर खुलकर बातचीत की। इसमें श्रमिकों से लेकर बड़ी कंपनी के अधिकारी, व्यवसायी और उद्यमी, कर्मचारियों ने भी अपने बच्चों की प्रगति के लिए अपने बच्चों की पूरी समझ के साथ आगे बढ़ने और जागरूक माता-पिता के विशेष गुणों को आत्मसात करने, सकारात्मक सोच अपनाने का निर्णय लिया। .

माता-पिता के प्रश्न का प्रासंगिक और रचनात्मक उत्तर देते हुए सर नागेश जोंधले, अपने बच्चे के साथ कौन-सी पाँच चीज़ें नहीं करनी चाहिए? इसके अलावा, छात्रों में कौन सी पांच आदतें उनके मस्तिष्क के कार्य को कमजोर कर सकती हैं और उन्हें हतोत्साहित कर सकती हैं और उनके मानसिक स्वास्थ्य को खतरे में डाल सकती हैं? इसका विश्लेषण करते हुए और मार्मिक उदाहरण देते हुए उन्होंने इक्कीसवीं सदी में माइंडफुल पेरेंटिंग की अपील की।

‘द डायनामिक टॉप रैंकर’ का कार्यशाला का परिचय विकास अकादमी के निर्देशक विकास इंदे ने किया, जबकि सर नागेश जोंधले का परिचय ‘आई सेंटर’ के युवा नेता सौरभ राठौड़ ने किया। कार्यशाला का प्रभावी संचालन अनुराधा मिश्रा और हर्षदा खाडपाकर ने किया। इस दो दिवसीय कार्यशाला की सफलता के लिए विकास अकादमी की प्रीति साबले, ऋषि कोमल, तन्वी धोंड, विठ्ठल सुपे, अनीता नवगिरे, प्रदीप हल्गे, शैलेंद्र शर्मा आदि ने सफल प्रयास किये।

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