श्रीयश इन्स्टिटयूट ऑफ फार्मास्युटिकल एज्यूकेशन अँड रिसर्च औरंगाबाद में एक दिवसीय कार्यशाला “डायमंड इन मी” का आयोजन
औरंगाबाद (संवाददाता) दि.15 नोव्हें: “आज का युवा चाहे शहरी हो या ग्रामीण क्षेत्र, सूचना और प्रौद्योगिकी के इस युग में आगे बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है। कॉलेज शिक्षा के दौरान प्राप्त ज्ञान के साथ-साथ सेमिनारों और कार्यशालाओं के माध्यम से अर्जित कौशल ने विभिन्न क्षेत्रों में अपनी बुद्धि और कौशल को साबित करने के कई अवसर प्रदान किए हैं। इसी के चलते युवाओं को अपने आप में छुपे हुये हिरे ( Diamond ) जैसे गुणोको अधिक रूप से सफल होने के लिए पहचानना आवश्यक है।” ऐसा बयान शिक्षा के क्षेत्र में आंतरराष्ट्रीय आयडॉल पुरस्कार विजेता और ऍमेझॉन बेस्ट सेलिंग लेखक, आई सेंटर (IE CENTRE ) के निर्देशक विश्वविक्रमवीर सर नागेश जोंधले ने ‘श्रेयश प्रतिष्ठान’ के आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में किया| श्रीयश इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च औरंगाबाद में प्रथम से अंतिम वर्ष तक छात्रों के लिए आयोजित 12 नवंबर के दिन एक दिवसीय कार्यशाला “डायमंड इन मी” (DAIMOND IN ME ) में वो बोल रहे थे।

कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य डॉ. गणेश तपाड़िया ने की, जबकि कार्यशाला के मुख्य मार्गदर्शक आई सेंटर के निर्देशक एवं विश्वविक्रमवीर सर नागेश जोंधले, सोहम शिक्षा परामर्श केंद्र के निर्देशक प्रो. राहुल सुरवासे, विभागाध्यक्ष डॉ. मिलिंद कांबले थे | समन्वयक एवं विभागाध्यक्ष प्रो. उदय दुनाखे एवं प्रो. प्रीति उंदरे की प्रमुख उपस्थिति रही। इस अवसर पर दर्शकों का मार्गदर्शन करते हुए सर नागेश जोंधले ने कहा की, “आज आप जितने सफल लोगों को देख रहे हैं, उनमें स्थानीय से लेकर वैश्विक तक पहुंचने वाले व्यक्तित्वों ने अपने गुप्त गुणों को नियंत्रण में रखते हुए यह शानदार सफलता हासिल की है। अपने स्वयं के दिमाग और अपनी भावनाओं को उचित दिशा दे रहे हैं। इसके लिए यह बहुत जरूरी है कि आप जो काम कर रहे हैं उस पर आपका शत-प्रतिशत फोकस हो। कड़ी मेहनत, निरंतरता और समर्पण की इच्छा के साथ, आप अधिक सफल होंगे और देश के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने माता-पिता, शिक्षकों, कॉलेज के नाम को आगे बढ़ाने के लिए मूल्यवान होंगे।”

इस कार्यशाला में सर नागेश जोंधले ने युवाओं को अधिक सफलता, ताकत, कमजोरियां, भविष्य के अवसरों और खतरों को प्राप्त करने के लिए ध्यान के महत्व पर SWOT की एक बहुत ही प्रभावी प्रस्तुति दी| ‘SWOT’ शब्चाद चार अलग अलग अक्षर को जोड़ कर बनाया गया, जिसका मतलब है की,
⦁ S = Strength(ताकत )
⦁ W Weaknesses(कमजोरी )
⦁ O Opportunities(अवसर)
⦁ T Threats(खतरा )
SWOT का विश्लेषण, कॉलेज लाइफ, करियर साथ ही उन्होंने सकारात्मक सोच और कर्म से जीवन में कठिन परिस्थितियों को कैसे दूर किया जाए, इस पर उचित मार्गदर्शन दिया। इस कार्यक्रम में दिन भर युवाओं की सक्रिय भागीदारी देखने को मिली। हालाकी 24 अक्टूबर 2022 को सर नागेश जोंधले की मांताजी शांताबाई भुजंगराव जोंधले के निर्वाण के बाद यह पहली कार्यशाला थी | इसलिये हॉल’ के उपस्थित सभी छात्रो ने एवं सभी सदस्यों ने इस बार उनके माताजी के लिये श्रद्धांजली अर्पित की|
सर नागेश जोंधले ने इस बार कहा की, “आज की कार्यशाला ‘डायमंड इन मी’ को मै अपनी प्यारी और मुस्कुराती हुई माँ को समर्पित करता हूँ, मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ और आपसे वादा करता हूँ कि सभी कार्यशालाओं में प्रतिभागियों के चेहरों पर और मुस्कान लाकर और अपने माता-पिता को हर कार्यक्रम में गौरवान्वित करुंगा|” सभागार में मौजूद सभी लोगों द्वारा एक बहुत ही मार्मिक क्षण का अनुभव किया गया था क्योंकि ‘आई सेंटर’ के जरीये “एक मजबूत राष्ट्र बनाने के लिए युवाओं को सशक्त बनाना” कहा गया था। इस अवसर पर छात्र प्रियंका खरात, शीतल पुंड, साक्षी सोराशे, अपूर्व गवणे, पुरुषोत्तम बोधरे, पूनम गावंडे, अभिषेक डेंगले और गायत्री पाठक ने कार्यशाला में सक्रिय रूप से भाग लिया और अपने विचार व्यक्त किए| कार्यक्रम का संचालन प्रो. स्नेहल राठौड़ और प्रो. प्रीति उंदरे ने बहुत प्रभावी ढंग से किया, जबकि छात्रप्रिय प्रोफेसर. डॉ. मिलिंद कांबले सर ने उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों और भाग लेने वाले छात्रों के प्रति आभार व्यक्त किया। इस कार्यशाला की सफलता के लिए सभी शिक्षकों एवं कर्मचारियों ने कड़ी मेहनत की|